लुडविग एडलर वॉन मिज़ीस
व्यक्तित्व एवं कृतित्व
[जन्म 1881 – निधन 1973]
लुडविग एडलर वॉन मिज़ीस मूल ऑस्ट्रियन अध्ययन-शाला के अंतिम अर्थशास्त्री थे. उन्होंने अपनी डॉक्टरेट की मानद उपाधि कानून और अर्थशास्त्र में विएना विश्वविद्यालय से 1906 में प्राप्त की. ‘मुद्रा और उधार का सिद्धांत’ (The Theory of Money and Credit) इनकी सबसे प्रसिद्ध कृति है, जो 1912 में प्रकाशित हुई. मुद्रा और बैंकिंग के अध्ययन के लिए इस पुस्तक का उपयोग दो दशकों तक हुआ. मिज़ीस ने ऑस्ट्रियाई मार्जिनल यूटिलिटी थ्योरी का विस्तार करते हुए इसमें मुद्रा को भी शामिल किया. मिज़ीस के अनुसार मुद्रा की मांग वस्तुओं को खरीदने की क्षमता के लिए होती है अन्यथा इसका खुद का कोई मोल नहीं है.
मिज़ीस ने इसी पुस्तक में तर्क दिया है कि व्यावसायिक चक्रों का निर्माण बैंकों द्वारा दिए जाने वाले अनियंत्रित ऋणों के जरिए है. मिज़ीस ने 1926 में ऑस्ट्रियाई व्यावसायिक चक्र शोध संस्थान (Austrian Institute for Business Cycle Research) की स्थापना की. इनके होनहार शिष्य फ्रीडरिक हायक थे जिसने मिज़ीस के व्यावसायिक चक्र सिद्धांत को आगे विकसित किया. मिज़ीस का अन्य महत्वपूर्ण योगदान इस तर्क के रूप में है कि समाजवाद आर्थिक रूप से असफल रहेगा. 1920 में लिखे एक लेख के मुताबिक मिज़ीस का मानना था कि समाजवादी सरकार जटिल आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए गणनाएं करने में असमर्थ है. समाजवादी अर्थशास्त्री ऑस्कर लेंगे और आब्बा लेर्नर इससे सहमत नहीं हैं किंतु आधुनिक अर्थशास्त्री हायक द्वारा किए गए विस्तार को शामिल कर पूर्ण रूप से सहमत है.
मिज़ीस मानते थे कि अर्थशास्त्रीय सत्य स्पष्ट और स्वयंसिद्ध है जिसे आनुभाविक रूप में परखा नहीं जा सकता. मिज़ीस ने मगनम ऑप्स, ह्यूमन एक्शन, और अन्य प्रकाशनों में अपने विचार व्यक्त किए हैं. उनके विचारों के समर्थक ऑस्ट्रियन अध्ययनशाला के बाहर के अर्थशास्त्री नहीं थे. मिज़ीस लैसे-फेयर के प्रबल प्रस्तावक थे. अर्थशास्त्र में लैसे-फेयर (Laissez-faire) का मतलब है उद्योग को सरकारी बंधनों से मुक्त रखना, खासतौर पर ऐसे बंधन जो विभिन्न प्रकार कै टैरिफ्स और सरकारी एकाधिकार के रूप में हों. लैसे-फेयर एक फ्रांसीसी वाक्यांश है जिसका मतलब है 'करने दो' ('let do') या 'होने दो' या 'अकेला छोड़ दो'. उन्होंने इस बात की वकालत की कि सरकार आर्थीक मामलों में दखल न दे. दिलचस्प बात है कि मिज़ीस ने कई चौंकाने वाले विचार भी व्यक्त किए. जैसे, उनका यह मानना था कि सेना में युद्ध के समय अनिवार्य भर्ती तर्कसंगत है.
मिज़ीस इस मामले में दुर्लभ थे कि इतनी ऊंचाइयां छू लेने के बावजूद पेशेवर जीवन की ज्यादातर अवधि के दौरान उनके पास कोई भी अच्छे वेतनमान वाला शैक्षणिक काम नहीं था. 1918 से 1984 तक मिज़ीस विएना विश्वविद्यालय में अवैतनिक व्याख्याता थे. उन्होंने 1909 से 1934 तक विएना चैम्बर ऑफ कॉमर्स में एक अर्थशास्त्री के रूप में नौकरी की. इस पद पर रहते हुए मिज़ीस ऑस्ट्रिया सरकार के प्रधान आर्थिक सलाहकार रहे. ऑस्ट्रिया में नाजी प्रभाव बढ़ने के बाद वे 1934 में जेनेवा चले गए. वहां उन्होंने ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ में 1940 तक व्याख्याता के रूप में काम किया. 1940 में मिज़ीस न्यूयार्क चले गए, 1948 तक न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में अतिथि प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहे और 1969 में सेवानिवृत्त हुए. इस कार्यकाल के दौरान उनका वेतन किसी निजी संस्था की ओर से दिया जाता था.
मिज़ीस के पास अकादमिक रोजगार का कोई नियमित शैक्षणिक कार्य नहीं रहा. अर्थशास्त्रीय तर्क और आर्थिक नीति पर उनके विचार कीन्सियन क्रांति के दौर में पुराने हो चुके थे. अमेरिकी अर्थशास्त्रीय विचारधारा कीन्स के विचारों के साथ तीस के दशक के मध्य से साठ के दशक तक आगे बढ़ी. उपरोक्त दोनों कारणों के चलते ही शायद चालीस के दशक के अंत में मिज़ीस काफी तीखे हो गए और ऐसा उनकी पेशेवर जिंदगी के शुरूआती दौर में सही नहीं था. शुरुआती दौर में उनके विचार मुख्यधारा के एक विचारक के रूप में थे. बाद में मुद्रा और उधार के सिद्धांत में उनके विचार खास तौर पर सामाजिक रूप से बहिष्कृत थे. इसका पहला भाग 1912 में लिखा गया जब मिज़ीस के तर्क शांतिपूर्ण थे जबकि बाद के दशकों में ऐसा नहीं रहा. मिज़ीस का युवाओं पर सशक्त प्रभाव था. अमेरिका में आस्ट्रियाई विचारधारा का फिर से उभरना उनकी जिद का ही परिणाम था.
मिज़ीस की कुछ प्रमुख कृतियां
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